Ek Alhadsa ladka.............
एक अल्हड सा लड़का था मै जिन दिनो , एक मैले मै पंहुचा चहकता हुआ । लोट आया लिए हसरते सेकड़ो , जेब खली थी कुछ मोल लेना सका। खेर महरुनियत के वो दिन तॊ गये , आज मेला लगा हे ऊसी शान से । आज चाहू तॊ हर एक दूका मोल लू , आज चाहू तॊ हर एक जहाँ मोल लू। आज मेला लगा है उसी शान से , पर मिठाई का इस दिल मै धड़का कहाँ । अब छोटा सा अल्हड सा लड़का कहाँ !......... अब छोटा सा अल्हड सा लड़का कहाँ !.........